द्वंद्व

किसी परिचित स्कूटर से आकस्मिक मुलाकात यादें और भावनाएँ ताज़ा कर देती है। वर्षों के अलगाव के बाद हृदयस्पर्शी पुनर्मिलन।

द्वंद्व

हर रोज की तरह ,जब मैं सुबह-सुबह टहलने जा रही थी। अभी मैं 10 मिनट  टहली  ही थी ,कि मेरे विपरीत रास्ते में ,मुझे कुछ दिखा,थोड़ा अंधेरा था ,रास्ते पर और स्ट्रीट लाइट की रोशनी भी थोड़ी  धीमी थी ।इसीलिए मैं ठीक से उसे देख नहीं सकी  ।और  वह  शायद थोड़ा दूर भी  था । पर जैसे जैसे  मैं उसके पास आती गई  ,मेरा सारा ध्यान उस पर गया ,एक पुराना  सा बजाज स्कूटर ! जिस पर  मेरी  नज़र  गई ।मैंने उसे एक नज़र देखा ,फिर सारा ध्यान अपनी ओर केंद्रित करते हुये ,चलने लगी । तभी मुझे कुछ आवाज़  सुनाई दी ,मुझे पहचाना नहीं ? और तुम इतनी उलझनों  में कब से रहने लगी हो ,मैं इधर -उधर  देखने  लगी  । फिर मै  सोचने लगी ,कोई  तो  नहीं है, फिर  कौन  बोल रहा  है। शायद मैं इतनी परेशान हूं ,इसलिए मुझे कुछ भ्रम हो रहा है।

                                           तभी बजाज  स्कूटर की तरफ से आवाज आई । मुझे तुम भूल गई ,मैंने कहा कौन ? आप पहले मेरे सामने आओ ।तभी आवाज आई ,सामने ही तो हूँ ,पर अब तुम मुझे नहीं देख पाती  हो । फिर मैं सोचने लगी,शायद मेरा दिमाग खराब हो रहा है। और मैं  चलने लगी ,तभी फिर से आवाज  आई ,रुको !और मै  रुक गई । उसने कहा मै तेरा हवाई जहाज ,जिस पर तुम रोज शाम को सैर करने जाती थी । जब तुम ५से ७ साल  की होगी ,तब ! अपने  पापा के साथ , तुम, मैं और तुम्हारे पापा ! वह १ से २ किलोमीटर का रास्ता , तुम मुझसे कितनी  बातें करती थीं । कि जब बड़ी हो जाऊगी ,तब मैं ये करुगी  ,वो करुँगी ।तब मै कहता  तुम जो भी करना , अपने ऊपर  हमेशा  विश्वास रखना  ,तब तुम कुछ भी कर सकती है।

                                            कैसी हो ?मैंने कहा,ठीक हूँ। उसने कहा लगती तो नहीं हो ?मैंने कहा ,तुमको कैसे पता ,मैं ठीक हूँ, या नहीं। उसने कहा तुम्हारे,चेहरे से सब पता चल जाता है। एक समय तुम सिर्फ एक समोसा खा कर ,इतनी खुश  हो जाती थीं। कि  तुम्हारे चेहरे को देख कर ,मैं और तुम्हारे पापा खुश हो जाते थे। तो अब क्या हो गया , हसना  भूल गई ,क्या ? मैंने कहा हंसती तो हूँ ,सच में ,हसती हो ?इसको  हंसना कहते  हैं !मैंने कहा तुम जाओ। यहाँ  से ,उसने कहा मैं तो चल ही जाऊगा। इतने साल में एक बार भी तुम्हारे सामने आया ,नहीं ना। तुम हर रोज आती -जाती थी।  मैंने कभी तुमसे बात की नहीं न ,तुम मुझे भूल गई , पर मैं तुमको कभी नहीं भूला। हर दिन तुमको देखता और सोचता चलो तुम ठीक हो ,और मैं  भी खुश हो जाता। पर आज जब मैं तुमको इतना परेशान देखा , तो मेरे दिल को बहुत दुःख हुआ। और मैं तुम्हारे सामने आया।  

                                              मैंने कहा जब तुमको ये पता है। की मै परेशान हूँ,तो तुमको ये भी पता, होगा कि किस लिए परेशान हूँ। उसने कहा मुझे सब पता है।मुझसे कुछ भी छुपा नहीं है।  जब से हम दोस्त बने। तब से मुझे तुम्हरी हर एक बात की खबर है। पर तुमको पता नहीं , तुम अपनी उलझनों में ऐसी  उलझती गई , की मुझसे दूर होती गई। तो मैंने कहा ,तो बताओ अब मैं क्या करू। तुम्हें तो सब पता है। मैंने जो सोचा था। उसके जैसा कुछ भी नहीं हो रहा है। मेरे जीवन में !पूरा जीवन ही तहस नहस पड़ा है।मेरी निजी  और व्यवसायी जीवन दोनों ही करीब -करीब खराब हो गए है।कभी -कभी तो लगता है। कि मर जाऊँ ,ये भी कोई जिंदगी है। इससे अच्छा तो मौत होगा।  कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। कभी -कभी तो कुछ भी महसूस नहीं होता है। यहाँ तक की दर्द भी ! 

                                                         उसने कहा बोल ली तु ,अब में कुछ कहुँ। मैंने कहा बोलो, उसने कहा ,तुम्हारे साथ ये सब क्यों हो रहा है। तुम्हें शायद नहीं पता ? तो मैंने कहा तुम बता दो ,उसने कहा इसीलिए तो आया हूँ। मेरी जान ! एक तो तुम्हारे अंदर विश्वास और इच्छा शक्ति दोनों ही नहीं रहें। तो निजी और प्रोफेशनल जीवन दोनों , तो खराब होना तय था। मैंने कहा तुमने पहले क्यों नहीं बताया। उसने कहा ,मुझे लगा कि तुम अपनी गलतियों से सीखेगी। पर तुम कुछ भी नहीं सीखी। और गलती करती गई। आज से १५ साल पहले तुम्हारे अंदर कितना विश्वास था। और अब देखो ,कितना बदल गई हो।  To be  continued....